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लेखनी प्रतियोगिता -14-Jun-2023 अंधेरी गलियां

ये अंधेरी तंग गलियां तो वैसे ही बदनाम हैं 
अब तो चौराहों पर होती इज्ज़त नीलाम है 

कभी चलता था अपराध का साम्राज्य यहां से 
अब तो सफेदपोश अपराधी घूमते खुलेआम हैं 

अंधेरी गलियों में कहीं खो गया है बचपन यारो 
क्या समाज अपने माथे पर लेगा ये इल्जाम है 

युवाओं के लड़खड़ाते कदमों पे टिका है भविष्य 
दिशाहीन भटकती जवानी खुद नशे की गुलाम है 

पैसे की चकाचौंध में खो गई है संवेदनाऐं कहीं 
एक अंधी दौड़ है जिसका "आधुनिकता" नाम है 

श्री हरि 
14.6.2023 


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13 Comments

वानी

24-Jun-2023 10:18 AM

Nice

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Abhilasha Deshpande

22-Jun-2023 03:10 PM

Awesome poem

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Hari Shanker Goyal "Hari"

22-Jun-2023 04:24 PM

🙏🙏

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Wahhhh Fantastic lines

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Hari Shanker Goyal "Hari"

22-Jun-2023 04:23 PM

🙏🙏

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